by Mukta Sharma · 2022
ISBN: Unavailable
Category: Juvenile Nonfiction / Poetry / Humorous
Page count: 119
<p>मेरे यह एहसास मेरे सपनों से शुरू हुए और उनकी एक गठरी बन गयी| जब यह सपनों की गठरी उठाये, उनको पूरा करने की आस में जब मैं निकली तो बहुत सारे विचारों ने मुझे घेर लिया, जिनको मैं एक गगरी में भरती गयी| सपनों की गठरी और विचारों की गगरी उठाये, मैं वास्तविकता की नगरी में वापस पहुँच गयी| उस वास्तविकता की नगरी में, आपने सपनों की राह चलते चलते, मुझे न जाने कब अध्यातम की पगड़ी, अपने सर पर अनुभूत हुई| उन्हीं सपनों से लेकर अध्यातम तक की यात्रा का अनुभव मैंने अपनी कविताओं के द्वारा वर्णन किया है| आशा करती हूँ कि मेरी कोई न कोई कविता आपकी चेतना को कहीं न कहीं अवश्य स्पर्श करेगी|</p><p>जब मुझे मेरी संपादिका श्रीमती “अभीषा जैन” द्वारा उन्मुक्त उपनाम मिला तो मुझे लगा जैसे मैं सम्पूर्ण हो गयी| तब मेरे एहसासों ने एक नयी उमंग की डोर बांधी और उस उन्मुक्त गगन को छूने लगी| उसी ऊँचाई के बोध से मैं आप सब के सामने प्रस्तुत कर पा रही हूँ “मुक्ता के उन्मुक्त एहसास” (भाग-2)| आप सब ने मेरी पहली किताब “मुक्ता के उन्मुक्त एहसास” को बहुत प्रेम पूर्वक पढ़ा, उसके लिये आप सब का आभार| </p><p>मैं अपनी जननी श्रीमती मोहिंदर अरोरा को हृदय से आभार व्यक्त करना चाहती हूँ, उन्होंने हमेशा मेरे हर काम को समझा और उसका पूर्ण रूप से समर्थन किया| मैंने कोरोना महामारी में अपने पिताजी श्री कुलदीप अरोड़ा जी को हमेशा के लिये खो दिया और उनके अंतिम दर्शन भी नहीं कर पायी| इसी पछतावे के साथ मैं अपनी माँ से क्षमा याचना करना चाहती हूँ| मैं अपने जीवन साथी श्री दिनेश शर्मा जी के भी प्रति कृतज्ञ हूँ जो अपने जीवन की सारी जिम्मेदारियाँ कुशलता से निभाए चले जा रहे हैं| मेरी सास श्री मती उमा शर्मा, जो मेरे लिए हैं खास, मैं उनका भी आभार व्यक्त करती हूँ| मेरी दोनों बेटियाँ तृषा और सीया, जो सदैव मेरी उर्जा को बढ़ाती आयी हैं उन्हें ढेर सारा प्यार| </p><p>मेरी किताब की संपादिका और प्रकाशक, जो मेरी प्रिय मित्र भी हैं, उनको आभार प्रकट करने के लिये मेरे पास शब्द नहीं है, मैं कृतार्थ हूँ कि वह मेरे जीवन की मार्गदर्शक बनीं, तभी तो मैं उन्मुक्त बन पायी|</p><p>मैंने अपने एहसासों को संजोया और अपने अनुभवों के साथ उसको पिरोया, इसी के आधार पर विभिन्न खुबसूरत कवितायेँ आप सब के सामने उत्कृष्ट श्वेत मोतियों की एक माला के रूप में उभर कर आयी हैं, उम्मीद करती हूँ, मेरी यह श्रृंखला आप सब के जीवन में नयी तरंग लायेगी| </p><p>अंतिम, मैं आभार प्रकट करना चाहती हूँ, “your quote” मोबाइल एप्लीकेशन का, जिनके माध्यम से मैं स्वरचित उन्मुक्त छंदों को सपनों की उड़ान दे सकी|</p><p><br></p><p>आभार😊</p><p>उन्मुक्त</p>