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  • Book cover of मुक्ता के उन्मुक्त अहसास
    Mukta Sharma

     · 2021

    मेरा जीवन चार स्तंभों पर खड़ा है। जब मैं पैदा हुई तो शुरू से ही भगवान में पूरी तरह से आस्था रही है। बचपन से कुछ भी दुख या सुख आता तो एक ही नाम सुहाता था, जय माता दी ! मेरा जीवन पूरी तरह से बदल गया जब मेरी ज़िन्दगी में मेरी Shakubuku माँ आई और मैं भारत सोका गकाई से जुड़ी| तब मैंने ब्रह्मांड के सिद्धांतो को समझा, तो वह मेरी ज़िन्दगी का दूसरा स्तंभ बन गया Ikeda Sensei जैसे मेंटर मेरे तीसरे स्तंभ और Gohonzon मेरा चौथा स्तंभ है मै इन चारों स्तंभों और अपनी Shakubuku माँ का तहे दिल से धन्यवाद करती हूँ। आज जब मैंने एक उम्र का फासला तय किया है तो बहुत सारे एहसासों को अपने अंदर पनपता हुआ पाया है। अपने उन्हीं एहसासों को अपनी कलम से लिखती चली गई और न जाने कब उन एहसासों ने कविता का स्वरूप ले लिया और मैं कवियित्री के रूप में आप सब के सामने प्रस्तुत हो गई। अपने इन्हीं एहसासों को फिर चाहे वह बचपन की किलकारियाँ हो, या जवानी में रखा पहला कदम, या हो मोहब्बतों की बातें या फिर अपने देश के लिए सच्ची लगन; व्यक्त करती है मेरी यह किताब "मुक्ता के उन्मुक्त एहसास" मैं आशा करती हूं कि आपको मेरे उन्मुक्त एहसास पसंद आयें और आप से निवेदन करती हूँ एक बार इस किताब को पढ़ने के बाद इन एहसासों को अपनी ज़िन्दगी से अवश्य जोड़ कर देखना, यह आपको अपने से लगेंगे।

  • Book cover of मुक्ता के उन्मुक्त अहसास: भाग 2
    Mukta Sharma

     · 2022

    मेरे यह एहसास मेरे सपनों से शुरू हुए और उनकी एक गठरी बन गयी| जब यह सपनों की गठरी उठाये, उनको पूरा करने की आस में जब मैं निकली तो बहुत सारे विचारों ने मुझे घेर लिया, जिनको मैं एक गगरी में भरती गयी| सपनों की गठरी और विचारों की गगरी उठाये, मैं वास्तविकता की नगरी में वापस पहुँच गयी| उस वास्तविकता की नगरी में, आपने सपनों की राह चलते चलते, मुझे न जाने कब अध्यातम की पगड़ी, अपने सर पर अनुभूत हुई| उन्हीं सपनों से लेकर अध्यातम तक की यात्रा का अनुभव मैंने अपनी कविताओं के द्वारा वर्णन किया है| आशा करती हूँ कि मेरी कोई न कोई कविता आपकी चेतना को कहीं न कहीं अवश्य स्पर्श करेगी| जब मुझे मेरी संपादिका श्रीमती “अभीषा जैन” द्वारा उन्मुक्त उपनाम मिला तो मुझे लगा जैसे मैं सम्पूर्ण हो गयी| तब मेरे एहसासों ने एक नयी उमंग की डोर बांधी और उस उन्मुक्त गगन को छूने लगी| उसी ऊँचाई के बोध से मैं आप सब के सामने प्रस्तुत कर पा रही हूँ “मुक्ता के उन्मुक्त एहसास” (भाग-2)| आप सब ने मेरी पहली किताब “मुक्ता के उन्मुक्त एहसास” को बहुत प्रेम पूर्वक पढ़ा, उसके लिये आप सब का आभार| मैं अपनी जननी श्रीमती मोहिंदर अरोरा को हृदय से आभार व्यक्त करना चाहती हूँ, उन्होंने हमेशा मेरे हर काम को समझा और उसका पूर्ण रूप से समर्थन किया| मैंने कोरोना महामारी में अपने पिताजी श्री कुलदीप अरोड़ा जी को हमेशा के लिये खो दिया और उनके अंतिम दर्शन भी नहीं कर पायी| इसी पछतावे के साथ मैं अपनी माँ से क्षमा याचना करना चाहती हूँ| मैं अपने जीवन साथी श्री दिनेश शर्मा जी के भी प्रति कृतज्ञ हूँ जो अपने जीवन की सारी जिम्मेदारियाँ कुशलता से निभाए चले जा रहे हैं| मेरी सास श्री मती उमा शर्मा, जो मेरे लिए हैं खास, मैं उनका भी आभार व्यक्त करती हूँ| मेरी दोनों बेटियाँ तृषा और सीया, जो सदैव मेरी उर्जा को बढ़ाती आयी हैं उन्हें ढेर सारा प्यार| मेरी किताब की संपादिका और प्रकाशक, जो मेरी प्रिय मित्र भी हैं, उनको आभार प्रकट करने के लिये मेरे पास शब्द नहीं है, मैं कृतार्थ हूँ कि वह मेरे जीवन की मार्गदर्शक बनीं, तभी तो मैं उन्मुक्त बन पायी| मैंने अपने एहसासों को संजोया और अपने अनुभवों के साथ उसको पिरोया, इसी के आधार पर विभिन्न खुबसूरत कवितायेँ आप सब के सामने उत्कृष्ट श्वेत मोतियों की एक माला के रूप में उभर कर आयी हैं, उम्मीद करती हूँ, मेरी यह श्रृंखला आप सब के जीवन में नयी तरंग लायेगी| अंतिम, मैं आभार प्रकट करना चाहती हूँ, “your quote” मोबाइल एप्लीकेशन का, जिनके माध्यम से मैं स्वरचित उन्मुक्त छंदों को सपनों की उड़ान दे सकी| आभार😊 उन्मुक्त

  • Book cover of Patram Pushpam

    Patram Pushpam, covers the whole in the individual, full of devotional dew points, such a feeling is the Kalash. In which like all of us, the poet also pleads to have a glimpse of her Ishta. This call is not limited to individuals or religions, but supports the spirit of unity in diversity, giving the highest place to almost every religion in its heart. Aarti-praise, Prakriti Vandana, invocation of Mother India, the anguish of the earth, the spread of Maya, true religion, sin-virtue, sanskar, defines the distorted form of the religion created by us very skillfully. It is not only a poet but a tangible expression of the philosophical, spiritual feelings of your mind.

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    Mukta Sharma

     · 2017

    Turning twenty-one makes one feel grown up and ready to take the next step in life. We start planning for future and feel aware of world and its reality. But the things turned out different for Evana Hills. Everything she experienced and lived for twenty-one years turned out to be a lie in just twenty-one days. In a quest of finding the truth she comes across more subtle form of her reality. All her dreams that haunted her since childhood started making sense and seem more horrific. Answer to every question brought up new questions which are more mysterious than ever. Entering the world of dramens she realises that every truth she comes across is a lie. In a whirlpool of mysteries will Evana Hills be able to extract the truth out of it. It is an experience with no barrier of time, no barrier to love, no barrier to hatred and no barrier to life. Will she find the truth till the end or have a fatal ending unaware of her reality? A great queen or a weak human- What will she choose? Travel along the protagonist on her dilemmatic journey to reach her final fate.

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